Monitor क्या है? Monitor के बारें में विस्तार से जानिए?

मॉनीटर क्या हैं और मॉनिटर के प्रकार, Monitor in Hindi, What is Monitor? Know Monitor in Details in Hindi? जानिए Monitor क्या है मॉनिटर के प्रकार? मॉनिटर के कार्य क्या है? मॉनिटर की विशेषताओं की व्याख्या? मॉनिटर का मतलब क्या होता है? सबकुछ यहाँ पर

मॉनिटर कंप्यूटर का एक आउटपुट डिवाइस है। जो एक तार के जरिए सीपीयू से जुड़ा होता है। कंप्यूटर में हमारा सारा काम सीपीयू में होता है, लेकिन उसे देखने के लिए मॉनिटर की जरुरत होती है।

मॉनिटर एक विज्युअल डिस्प्ले यूनिट होता है। यह टेलीविजन की तरह दिखता है। इसका मुख्य काम सीपीयू में चल रही प्रक्रियाओं को दिखाना है।

हिस्ट्री ऑफ़ मॉनिटर

कैथोड रे ट्यूब पहले कंप्यूटर मॉनिटर जिसका इस्तेमाल लोग कंप्यूटर के अंदर होने वाले प्रोसेस की जानकारी को देखते थे। एक CRT वैक्यूम ट्यूब होता है जिसका एक छोर फॉस्फोरस से कोटेड किया हुआ होता है। जब इलेक्ट्रान इन पर स्ट्राइक करते हैं तो एक रौशनी निकलती है

Monitor in Hindi, What is Monitor? Know Monitor in Details in Hindi
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उस वक़्त बाज़ार में सिर्फ CRT ही डिस्प्ले के रूप में उपलब्ध थे इसीलिए लोग इसी का इस्तेमाल किया करते थे। पहले के कंप्यूटर ऑपरेटर CRT में मुश्किल से ही टेक्स्ट देखा करते थे बल्कि इसकी बजाय इस में कलरलेस वेक्टर ग्राफ़िक देखा करते थे। जैसे जैसे टेक्नोलॉजी में विकास हुआ कलरफुल CRT आ गए जिसमे टेक्स्ट के साथ ग्राफ़िक्स और डायग्राम भी रंगीन हो गए। कुछ ही सालों में टेक्नोलॉजी और विकसित हुई और पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया गया जो built-in टर्मिनल्स से बने हुए थे

ये डिवाइस कम्पोजिट वीडियो को सस्ते CCTV मॉनिटर में आउटपुट कर सकते थे। 1976 में Apple कंपनी से ऐसे मॉनिटर को लोगों के सामने लाया जिसमे गेम कंसोल को सीधे कंप्यूटर और टीवी से जोडने के लायक बनता है। CRT वजन में भारी हुआ करता था और साथ ही बहुत अधिक एनर्जी की भी खपत करता था। इस की तुलना में LCD में कम ऊर्जा का इस्तेमाल होता और साइज भी कम हो गया। 2007 में LCD ने CRT की जगह ले ली और बाजार में छा गया। ये उसी साल नहीं बनाया गया बल्कि उसको बनाने का काम 1980 से ही चल रहा था। हालाँकि उस वक़्त LCD काफी महंगे हुए करते थे और परफॉरमेंस भी अच्छी नहीं थी

मॉनिटर का आविष्कार

कैथोड रे मॉनिटर का आविष्कार कार्ल फर्डीनांड ब्राउन (Karl Ferdinand Braun) ने किया था। इस का आविष्कार उन्होंने सं 1897 ईस्वीं में किया था जब उन्होंने पहली बार कैथोड रे ट्यूब की रचना की थी। वो एक जर्मन वैज्ञानिक थे

मॉनिटर का परिचय

मॉनिटर एक आउटपुट डिवाइस होता हैं एवं इसको विजुअल डिस्‍प्‍ले यूनिट भी कहा जाता हैं। मोनोक्रोम शब्‍द दो शब्‍दों मोनो (एकल) तथा क्रोम (रंग) से मिलकर बना हैं इस‍लिए इसे सिंगल कलर डिस्‍प्‍ले कहॉं जाता हैं। सी। । । । कैथोड रे ट्यूब मॉनिटर सबसे ज्‍यादा प्रयोग होने वाला आउटपुट डिवाइस हैं जिसे विजुअल डिस्‍प्‍ले यूनिट भी कहते हैं।

हम Computer में जो भी कार्य करते है, उसका परिणाम हमे Output Device में देखने को मिलता है, जिसे हम आम बोलचाल की भाषा मे display कहते है। ये ही वो उपकरण है, जिसकी मदद से हम visual information को computer screen पर देख पाते है। तो कंप्यूटर की स्क्रीन को ही हम Monitor कहते है।

ये Monitor कई प्रकार के होते है। परन्तु ये सभी use करते है Display technology का ताकि ये information sharing को simple कर पाए। Monitor का main function यानी कार्य graphical information को हमारी screen पर produce करना है

हमारे PC में ये Monitor एक cables के माध्यम से video card या Motherboard में connect रहता है। आपने ये देखा होगा जब भी लोग Monitor शब्द सुनते है, तो वे Television और computer display के बीच difference को नही समझ पाते है। इसका एक कारण भी है, कि कई LED व LCD Tv का use हम अपनी PC की screen के रूप में कर सकते है। इस पोस्ट में आगे आप विस्तार से Computer Monitor के बारे में जानेगें। तो चलिये शुरुवात मॉनिटर क्या है जानने से करते है

मॉनिटर की खोज

मॉनिटर की खोज एक German scientist (Karl Ferdinand Braun) ने सन 1897 में की। उन्होंने एक fluorescent screen के साथ एक CRT monitor पेश किया जिसे cathode ray oscilloscope के रूप में जाना जाता है

मॉनिटर का फुल फॉर्म

वैसे देखा जाए देखा जाये मॉनिटर शब्द का अपना अर्थ होता है जिसका मतलब है एक ऐसा यंत्र है जो दिखाता है या प्रदर्शित करता है। इसके कई प्रकार होते हैं जिनका संक्षिप नाम होता है और जिसके फुल फॉर्म भी होते हैं

वैसे अगर हम ऐसे ही कहें तो इसका फुल फॉर्म होता है:-

M – Machine

O – Output

N – Number of

I – Information

T – To

O – Organize

R –  Report

मॉनिटर क्या हैं?

ये एक इलेक्ट्रॉनिक यन्त्र होता है जिसे कंप्यूटर सिस्टम का आउटपुट डिवाइस भी बोला जाता है। ये उपयोगकर्ता और सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के बीच एक माध्यम की तरह काम करता है। ये जानकारी को फोटो, text और वीडियो के रूप में हमे अपने स्क्रीन में दिखाता है। इसे विसुअल डिस्प्ले यूनिट के नाम से जाना जाता है जिसे संक्षिप्त में VDU कहा जाता है।

इसमें एक screen, circuit सिस्टम power supply, screen setting के लिए buttons और एक casing होता है जिसके अंदर पूरा circuit इनस्टॉल किया हुआ होता है। मॉनिटर को आउटपुट डिवाइस भी बोला जाता है क्यों की ये सारी जानकारी कंप्यूटर स्क्रीन में दिखाता है।

मॉनिटर सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट से जुड़ा होता है जो यूजर के हर मूवमेंट को स्क्रीन पर उसी वक़्त दिखाता है जिस वक़्त काम किया जाता है। जैसे माउस और कीबोर्ड से जो भी डाटा इनपुट करते हैं उसे हम इस आउटपुट डिवाइस में देख कर ही कर पाते हैं

मॉनिटर ऐसा आउटपुट डिवाइस होता है जो हमे जानकारी text,images और video के रूप में दिखता है। पहले मॉनिटर को बनाने के लिए Cathode ray tubes (CRT) का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे ये साइज में बहुत बड़े होते है और उनका वजन भी ज्यादा होता है।

लेकिन आजकल flat-screen वाले LCD  बहुत अधिक इस्तेमाल किये जाते हैं चाहे वो लैपटॉप हो, PDA या फिर कंप्यूटर मॉनिटर। जिसे flat panel display technology भी बोलते हैं। इस तरह के डिस्प्ले डिवाइस वजन में बहुत हलके और पतले हो चुके हैं इनको बहुत आसानी से carry किया जा सकता है और ये बहुत कम पावर में चलती हैं।

आजकल अधिकतर monitor display को flat-panel display technology के use से create किया जाता है। इसीलिये आप देखते होंगे आज के computer monitor काफी thin होते है। ये TVs से काफी similar होते है। परन्तु TV के comparison में Monitor, graphics को higher resolution में display करते है।

यदि इनके आकार की बात करे तो, अधिकतर Monitor का size 17 inches से 24 inches तक होता है। हालांकि इससे अधिक के भी होते है। नीचे बताये गए कुछ major factors का उपयोग करके किसी भी video display की performance का आकलन अर्थात measurement किया जा सकता है

Aspect Ratio:

ये screen की vertical और horizontal length अर्थात लम्बाई व चौड़ाई को describe करता है। उदाहरण के लिए widescreen LCD monitors का aspect ratio होता है 16:9

Dot Pitch:

इससे हमें पता चलता है, कि एक screen किसी picture को कितने sharp यानी तेज display करेगी। यह प्रत्येक square inch में हर pixel के बीच की distance है। किसी Monitor में जितनी short ये distance होगीं उसमे एक picture उतने ही sharp और clean दिखाई देगी

Resolution:

एक computer screen में number of pixel को resolution के द्वारा describe किया जाता है। Display पर image की sharpness काफी हद तक pixel की संख्या पर depend करती है

Size:

किसी display का उतना space जो image, video या working space को display करने के लिए available है। आसान भाषा मे एक monitor के सिर्फ screen part को इससे नापा जाता है

मॉनिटर के प्रकार

कुछ विभिन्न प्रकार के मॉनिटर निम्नलिखित है:-

CRT Monitor:

सबसे पहले उपयोग होने वाले video display में CRT (cathode ray tube) का नाम आता है। ये picture को Black & White में दिखाते थे। इन monitor के साथ एक fluorescent screen पर image को बनाने के लिए high energy electrons की एक stream अर्थात धारा का use किया जाता था।

ये cathod ray tube बिल्कुल vacuum tube की तरह होती है, जिसके एक side में electron gun और दूसरे side में एक fluorescent screen लगी होती है। आज के समय मे ये rarely available होते है परन्तु पहले सबसे अधिक इनका ही उपयोग किया जाता था।

CRT Monitor

LCD Monitor:

आजकल की display technology में LCD यानी liquid crystal display का इस्तेमाल सबसे अधिक होता है। इन monitor को liquid और solid matter के combination से बनाया जाता है।

एक image को screen पर produce करने के लिये LCD एक liquid crystal को उपयोग में लेती है। देखने मे LCD बहुत thin और light होती है।

यही वह तकनीक थी जिसने Cathode ray tube को replace किया था। आमतौर पर इन screens में color या monochrome pixels की एक layer होती है, जो transparent electrodes के एक जोड़े और दो polarizing filters के बीच व्यवस्थित होती है।

LED Monitor:

ये आज की सबसे नई तकनीक है या इसे हम LCDs monitor का upgrade version भी कह सकते है। दिखने में ये एक flat-panel और थोड़ा सा slightly curved display होती है। इनमे back-lighting के लिए light-emitting diodes का उपयोग किया जाता है।

LED और LCD के बीच सिर्फ backlighting का difference होता है। इनका एक benefit ये है, कि LED Monitor एक high contrast वाली images produce करते है। दूसरे monitor की तुलना में अधिक टिकाऊ होते है और साथ कि low heat पैदा करते है।

Plasma Monitor:

ये एक flat panel display है, जो image create करने के लिए charged gases के small cells को use में लेते है। ये plasma cells खुद की अपनी illumination अर्थात रोशनी बनाते है, जिससे separate backlighting की आवश्यकता नही होती है।

plasma monitor एक LCD monitor के compare में heavy होता है। ये image की brightness और contrast को बेहतरीन तरीके से balance कर पाता है। यही इसका सबसे बड़ा benefit भी है। आमतौर पर इनका use large TV displays के रूप में होता है। ये लगभग 30 inches या इससे अधिक size की होती है।

Plasma Monitor

LED Monitor:

LED का मतलब है organic light-emitting diode। ये एक high display technology है। जिसकी picture quality काफी better होती है। ये LCD और plasma display की तुलना में different screen technology का use करता है।

इसमे colors create करने के लिए carbon और अन्य ingredients जैसे organic compounds का इस्तेमाल होता है। अब क्योंकि इसे backlighting की requirement नही होती है। इसीलिये LED को emissive technology माना जाता है। हालांकि ये अभी तक बाजार में उतनी आम नही है।

Touchscreen Monitor:

इस प्रकार के monitor ऐसे ही काम करते है जैसे एक digital smartphone करता है। यानी कि इसके features को use करने के लिए बस आपको screen में touch करना होता है।

आज के समय industry devices में इनकी popularity तेजी से बढ़ रही है। ATMs में भी इसी प्रकार के monitor का उपयोग होता है। अब जैसे ही modern technology की मांग बढ़ती जा रही laptop और PC में भी touchscreen display technology को बढ़ावा मिल रहा है।

Dual Monitors:

एक बड़ा मॉनिटर का इस्तेमाल करने की जगह ऐसा भी कर सकते हैं की इसकी जगह 2 अलग अलग  डिस्प्ले यूनिट का इस्तेमाल किया जाये। ये कंप्यूटर में इस्तेमाल किये जाने वाले video कार्डका फीचर होता है।

वीडियो कार्ड का इस्तेमाल करके कंप्यूटर में वीडियो से जुड़े कुछ ऐसे काम कर सकते हैं जो साधारण इस्तेमाल किये जाने वाले सिस्टम में हम नहीं कर सकते हैं। जैसा की नाम से ही पता चलता है की इस में 2 display unit होते हैं जो एक के बगल में दूसरा लगा हुआ होता है। Clone के रूप में एक ही इमेज को दोनों जगह दिखाया जाता है।

Dual view का इस्तेमाल कर के एक मॉनिटर दूसरे का extension बन जाता है। जिस में हम माउस के cursor को एक मॉनिटर से दूसरे में ले जा सकते हैं। Clone फीचर का इस्तेमाल वैसे जगह में किया जाता है जहाँ पर viewers बहुत हो लेकिन स्क्रीन छोटे हो तो अनेक output device लगा कर एक ही वीडियो को सबको दिखाया जा सकता है।

Dual view mode का इस्तेमाल तब बहुत फायदेमंद है जब multiple task का काम हो रहा हैजैसे एक ही बार में multiple windows, spreadsheet और documents खुल रहे हो।SED:- SED का फुल फॉर्म है Surface conducted electron emitted display।

ये बहुत High-resolution और flat panel display वाले स्क्रीन हैं। इन में से कुछ को diagonally measure करें तो ये 40-inch से भी ज्यादा के display unit होते हैं। SED में nanoscopic-scale electron emitters का प्रयोग कर के colored phosphorus को energize किया जाता है जिससे की इमेज बनटी है।

इस तरह के display unit को बनाने के लिए electron emitted array और phosphorus के layer का इस्तेमाल किया जाता है। Array और phosphorus layer के बीच एक पतली sheet जो की air को pass करने में मदद करती है। SED ऐसे display होते हैं जो CRT की तुलना में कम power  खर्च करते हैं और higher resolution picture देते हैं।

SED

OLED Monitors:

Organic Light-emitting diode(OLED) भी एक LED display होता है जिसमे emissive electroluminescent organic compound एक film के रूप में होती है। और जब इसमें electric current pass कराया जाता है तो ये light produce करती है। ये organic layer 2 electrode के बीच में होती है जिस में से एक electrode transparent होता है। OLED तकनीक का इस्तेमाल television screen, smartphone, Game console और PDA में भी इस्तेमाल किया जाता है।

OLED display को काम करने के लिए backlight की जरुरत नहीं पड़ती क्यूंकि की ये visible light produce करती है। इसीलिए ये LCD की तुलना में बहुत पतले बन सकते हैं और बनाये भी जा रहे हैं। और ये वजन में बहुत हलके होते हैं। इसकी पिक्चर क्वालिटी बहुत ही अच्छी होती है। ये भविष्य में और भी सस्ते होते जायेंगे। OLED चलने के लिए बहुत कम बिजली की खपत करते हैं। 

मॉनिटर की कार्यप्रणाली

मॉनिटर एक विसुअल आउटपुट डिवाइस है जो कंप्यूटर का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग है। ये पिक्चर, इमेज और लिखे हुए शब्दों को रियल टाइम में हमे दिखाता है। जिसकी सहायता से एक यूजर कंप्यूटर के साथ interact कर पाता है और अपनी मर्जी से किसी एप्लीकेशन को खोल पता है और उस पर काम कर पाता है।

दोस्तों आप तो जानते ही हैं की ये क्या काम करता है। नहीं जानते तो आज जान ले की ये मॉनिटर का मुख्य function है display करना इसीलिए इसे अलग अलग नामो से भी जाना जाता है जैसे screen , display unit, visual unit, video display, video screen इत्यादि

कंप्यूटर में एक video graphic card लगा होता है। यही graphic card information को convert कर के visual के रूप में इस डिवाइस में दिखाता है। जब भी कोई डाटा हम इनपुट डिवाइस की मदद से इनपुट करते हैं वो CPU में जाता है और वहां से process हो जाने के बाद उसे output device यानि मॉनिटर में display करने के लिए CPU भेज देता है।

हम सभी अपनी computer screen के आगे बहुत अधिक समय बिताते है। परंतु क्या आप जानते है, कि ये पिक्चर्स को आपके लिए कैसे प्रस्तुत करता है। आइये एक video display की कार्यप्रणाली को समझने की कोशिश करते है। तो चलिए बुनयादी चीज से शुरू करते है

Monitor पर दिखाई देने वाली pictures आपके computer में graphics card से आती है। एक ग्राफिक्स कार्ड का काम monitor तक picture को render करना है। इसके लिए एक cable के माध्यम से graphics card और computer screen को आपस मे connect किया जाता है।

परन्तु एक picture को screen पर produce करने के लिए हर monitor एक different display technology का इस्तेमाल करता है। उदहारण के लिये old-style cathode-ray tub (CRT) में तीन electron gun का use करके screen पर picture produce की जाती थी।

इसके विपरीत flat screen LCD और plasma screen अलग तरह से काम करते है। इनमे picture को दिखाने के लिए लाखों tiny blocks को उपयोग में लिए जाता है
जिन्हें हम pixels कहते है।

ये सभी pixels तीन colors के होते है Red, Blueऔर Green एक screen पर picture को create करने के लिए ये colors तेजी से on or off होते है। LCD monitor में इन pixels को electronically move किया जाता है। LCD monitor में polarized light को rotate करते हुए liquid crystal को उपयोग में लिया जाता है।

जिससे ये pixels electronically चालू या बंद होते है। Plasma screen में हर tiny pixel एक fluorescent lamp है,जो अपने आप switched होते रहता है। तो इस तरह आप अपने कंप्यूटर स्क्रीन पर इमेज या किसी भी ग्राफिक्स को देख पाते है।

एक अच्छा मॉनिटर कैसे चुने?

एक better monitor को choose करने के लिए सबसे पहले आपको ये देखना होगा कि आपके computer use करने का reason क्या है। यानी कि आप कंप्यूटर किस लिये उपयोग करते है। नीचे कुछ विभिन्न प्रकार के Monitor है। जिन्हें आप अपनी जरुरत के हिसाब से चुन सकते है:-

For general use:

अगर आप Home या office work के लिए computer का use करते है, तो आप एक general use monitor ले सकते है। अब क्योंकि आप अपने computer का इस्तेमाल browsing करने या कुछ basic computer program को run करने लिए कर रहे है।
तो इस तरह के operation में high graphics processing की आवश्यकता नही होती है। low price के सभी monitor इसी category में आते है

For professionals:

यदि आप graphic design या video editing के field में है, तो आपको एक अच्छे monitor की तलाश करनी चाहिये। क्योंकि यदि आप एक सस्ती डिस्प्ले का उपयोग करेंगे तो ये आपके काम को खराब कर सकता है। इसलिए आपको एक ऐसी स्क्रीन की आवश्यकता है, जो आपकी जरूरत को पूरा कर सके

For gamers:

एक gamer के लिए दो चीजें सबसे महत्वपूर्ण होती है। जिसमे graphics card और Monitor शामिल है। High graphics वाले games को खेलने के लिए आपके monitor का refresh rate और response time better होना चाहिए। यदि आपके computer की जरूरत एक gamers की है, तो आपको इस हिसाब से अपने Monitor का चयन करना चाहिए

मॉनिटर की विशेषता

आज आप नए बाजार से घिरे हुए हैं जहाँ अक्सर मॉनिटर से जुड़े नए शब्द LCD, OLED, TN इत्यादि सुनते रहते होंगे। लेकिन आज लोग आपसे ये जरूर पूछते होंगे की आपके घर में मॉनिटर कितने साइज का है।

तो क्या आपका डिवाइस भी 1080 resolution का है और आपको 4K या 5K डिस्प्ले की जरुरत है? क्या आप dual मॉनिटर सेटअप करना चाहते हैं। इस तरह की कई विशेषताओं के आधार पर ही लोग अपने डिवाइस का चुनाव करते हैं। तो चलिए देख लेते हैं इस की कुछ ख़ास विशेषताएं।

Monitor Size:

बड़ा है तो बेहतर है ये तो आपने जरूर सुना होगा। अब काफी अच्छे क्वालिटी के display Full HD (1920*1280) आकर में आते हैं। वो वक़्त तेज़ी से पीछे छूट रहा है जब लोग 15 इंच के डिस्प्ले में काम किया करते थे। इसकी जगह बड़े आकर के Display का प्रयोग होना शुरू हो चूका है।

Display resolution:

डिस्प्ले आकार बढ़ने के साथ जो सबसे महत्वपूर्ण फीचर ये है की पिक्चर क्वालिटी अच्छी होनी इसके लिए अब 4K range के डिवाइस बाज़ार में तेज़ी से छाने लगे हैं। 27 इंच का 16:9 4K Ultra HD डिस्प्ले इस्तेमाल हो रहे हैं।

पैनल प्रकार, देखने के कोण (Panel type, Viewing Angles)-अगर हम डिस्प्ले की बात करें तो Panel type कई तरह के होते हैं। TN-Twisted nematic, IPS- In-Plane Switching, MVA- Multi-domain vertical arrangement, PVA- Patterned vertical arrangement, SPVA-Super PVAकाफी फेमस है।

कुछ डिस्प्ले ऐसे होते हैं जिनके viewing angle बहुत कम 90/60 डिग्री होता है और कुछ के अधिक 170/170 डिग्री होते हैं।

Aspect ratio:

आज से कुछ समय पहले तक 4:3 का aspect ratio इस्तेमाल होता था लेकिन अब वो दिन गए आजकल ऐसे डिस्प्ले कोई भी पसंद नहीं करता। 16:9 aspect ratio वाले मॉनिटर सबसे आरामदायक होते हैं जिस पर काम करने भी काफी मज़ा आता है।

मॉनिटर के उपयोग

एक मॉनिटर का कार्य graphics adapter द्वारा generate की गई graphical information और video को screen पर display करना है। आसान भाषा मे आपके द्वारा जो भी input कंप्यूटर को दिया जाता है, ये उसका परिणाम screen पर print कर देता है। ताकि user computer के साथ interact कर पाए। आमतौर पर हम input device के रूप में Keyboard का use करते है।

एक image या कोई भी ग्राफिक्स जैसे text एक computer screen में show होने से पहले video card या Graphic card में process की जाती है। जिसके बाद वह monitor को दिया जाता है और आप अपनी स्क्रीन पर उस चित्र को देख पाते है।

तो एक video monitor का use सभी तरह की graphical information को show करने के लिए किया जाता है। ताकि आप जो भी कर रहे है उसे देख पाए।

Television और Monitor में अंतर

अक्सर लोग HDTV को एक computer screen के रूप में use करते है। लेकिन ये दोनों ही device एक-दूसरे से काफी अलग है। दिखने में भले ही ये एक जैसी लगे परन्तु features और size के मामले में इनके बीच बड़ा difference है। नीचे कुछ बिंदुओं को पढ़कर आप इनके बीच के अंतर को समझ जायेंगे।

  1. सबसे बड़ा अंतर size का है, जहां TVs एक large size में आते है। वही monitor smaller size में available होते है।
  2. TV में USB, VGA, HDMI सहित कई तरह के ports शामिल होते है। जबकि Monitor में इससे कुछ कम पोर्ट्स होते है।
  3. TV के comparison में इसके price low होते है।
  4. ये दोनों ही high-resolution image को produce करते है।
  5. Monitor का response time milliseconds में होता है। जो TV की तुलना में काफी अच्छा है। खास कर gaming perpose के लिए ये काफी मायने रखता है।
  6. Computer monitor में tuner व inbuilt speaker नही  होते है, जबकि TV में ये सुविधा है।
  7. इनका refresh rate एक TV की तुलना में अच्छा होता है।
  8. Clour accuracy के मामले में भी TV काफी हद तक पीछे है।

एक TV को entertainment के लिए बनाया गया है इसलिए उसमे मौजूद features भी इसी बात को ध्यान में रख कर दिए गए है। तो एक टीवी को computer display की जगह देना किसी भी तरह से ठीक नही है

मॉनिटर के फ़ायदे

एलईडी मॉनीटर के फायदे यह है कि वे हाइयर contrast वाले इमेज का उत्पादन करते हैं, जब डिस्‍पोज की बात आती हैं तो वे कम नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव डालते है। सीआरटी या एलसीडी मॉनीटर से अधिक टिकाऊ होते हैं, और इसमें बहुत पतली डिज़ाइन होती है। चलते समय वे बहुत गर्मी पैदा नहीं करते हैं।

मॉनिटर के नुकसान

Radiation:- मॉनिटर्स बेहद कम आवृत्ति (ईएफएल) विकिरण और माइक्रोवेव विकिरण का उत्सर्जन करते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। इस प्रकार के विकिरण में विद्युत चुम्बकीय गुण होते हैं जो मानव शरीर सहित ठोस पदार्थों को भेदते हैं।

जो लोग लंबे समय तक मॉनिटर के सामने रहते हैं वे हृदय रोगों और कैंसर को ईएफएल और माइक्रोवेव विकिरण के परिणाम के रूप में विकसित कर सकते हैं। विकिरण प्रभाव को कम करने के लिए कंप्यूटर से दो फीट (लगभग 60 सेमी) दूर बैठें और यह खराब दृष्टि वाले लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है।

Expensive and delicate:- एलसीडी मॉनिटर किसी व्यक्ति या कंपनी के अधिग्रहण और उन्हें हासिल करने की क्षमता को खरीदना और बनाए रखना महंगा है। एलसीडी मॉनिटर को यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार निगरानी की आवश्यकता होती है कि ड्राइवर कंप्यूटर वायरस मुक्त हैं और ठीक से काम कर रहे हैं।

मॉनीफंक्शनिंग मॉनिटर ड्राइवर कुछ सॉफ़्टवेयर अनुप्रयोगों के कुशल प्रदर्शन में बाधा डाल सकते हैं और इससे मॉनिटर का उपयोग करके किए गए काम की गुणवत्ता कम हो सकती है।

Screen Flicker:- CRT मॉनिटर में कम रिफ्रेशिंग क्षमता होती है जिसे टिमटिमा प्रभाव के रूप में जाना जाता है। यह उत्पादकता कम करता है क्योंकि उपयोगकर्ता को कमांड का जवाब देने के लिए कुछ समय तक इंतजार करना पड़ता है।

झिलमिलाहट प्रभाव आपको कंप्यूटिंग कार्यों का प्रदर्शन करते समय भी रुचि खो सकता है जिनके लिए वीडियो गेम प्रोग्रामिंग या वेब डिज़ाइन जैसे भारी सॉफ़्टवेयर अनुप्रयोगों की आवश्यकता होती है।

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