MS-DOS क्या है? इसकी विशेषताएं एवं नुकसान के बारे में जानिए

What is Microsoft DOS? Know about its features and disadvantages? MS-DOS क्या हैं? इसकी विशेषताएं एवं नुकसान के बारे में जानिए

Microsoft Disk Operating System

MS DOS का पूरा नाम Microsoft Disk Operating system है। डॉस (DOS) एक ऑपरेटिंग सिस्टम है । किसी कम्प्यूटर सिस्टम के सरल कार्यों को करने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है ।

इसका पूरा नाम डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Disk Operating System) है । यह ऑपरेटिंग सिस्टम उपभोक्त्ता और कम्प्यूटर सिस्टम के बीच माध्यम का काम करता है । 

MS-DOS क्या है? इसकी विशेषताएं एवं नुकसान के बारे में जानिए
MS-DOS क्या है? इसकी विशेषताएं एवं नुकसान के बारे में जानिए

MS DOS एक Character User Interface Operating System (CUI) है।सन 1984 में इनटेल 80286 प्रोसेसर युक्त माईक्रो कम्प्यूटर विकसित किये गये तब इनमें MS DOS 3.0 और MS DOS 4.0 version का विकास किया गया ।

MS-DOS का अविष्कार

MS-DOS को शुरुआत में 86-DOS बोला जाता था. इसे Tim Peterson ने लिखा था जिन्हे इस का father भी बोला जाता है. इसका अधिकार Seattle Computer product के पास था. 86-DOS को माइक्रोसॉफ्ट ने $75000 में खरीद लिया और फिर 1982 में इसने एक IBM PC के साथ MS-DOS 1.0 के नाम से release किया.

MS-DOS का इतिहास

MS DOS  का पूरा नाम Microsoft Disk Operating system है। MS DOS  एक Character User Interface Operating System (CUI) है। जो IBM संगत कंप्यूटरों के लिए बनाया गया था। एमएस-डॉस मूल रूप से टिम पैटरसन द्वारा लिखा गया था और अगस्त 1981 में माइक्रोसॉफ्ट द्वारा पेश किया गया था और आखिरी बार 1994 में एमएस-डॉस 6.22 जारी होने पर इसे अपडेट किया गया था।

MS-DOS उपयोगकर्ता को Windows की तरह GUI के बजाय कमांड लाइन से अपने कंप्यूटर पर फ़ाइलों को नेविगेट करने, खोलने और अन्यथा हेरफेर करने की अनुमति देता है।

आज, MS-DOS का उपयोग नहीं किया जाता है; हालाँकि, कमांड शेल, जिसे आमतौर पर विंडोज कमांड लाइन के रूप में जाना जाता है, अभी भी कई उपयोगकर्ताओं द्वारा उपयोग किया जाता है।

अधिकांश कंप्यूटर उपयोगकर्ता केवल माउस का उपयोग करके Microsoft विंडोज को नेविगेट करने के तरीके से परिचित हैं। Windows के विपरीत, MS-DOS कमांड्स का उपयोग करके MS-DOS को नेविगेट किया जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप विंडोज में एक फ़ोल्डर में सभी फाइलों को देखना चाहते हैं, तो आप फ़ोल्डर को विंडोज एक्सप्लोरर में खोलने के लिए डबल-क्लिक करेंगे। MS-DOS में, आप cd कमांड का उपयोग करके फ़ोल्डर में नेविगेट करेंगे और फिर dir कमांड का उपयोग करके उस फ़ोल्डर की फ़ाइलों को सूचीबद्ध करेंगे।

माइक्रोसॉफ्ट के इस आपरेटिंग सिस्टम को डिस्क आपरेटिंग सिस्टम कहा गया क्योंकि यह अधिकतर डिस्क से संबंधित इनपुट आउटपुट कार्य करते थे। 

MS DOS  एक आपरेटिंग सिस्टम यूजर और हार्डवेयर के बीच मध्यस्थता का कार्य करता है। आपरेटिंग सिस्टम कम्प्यूटर में हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर को कण्ट्रोल ही नहीं करता है। उनके बीच परस्पर संबंध स्थापित करता है ।जिससे यूजर को कंप्यूटर ऑपरेट करने में कोई समस्या नहीं होती है। 

MS DOS में कीवोर्ड की सहायता से कमांड दिये जाते है। डॉस इन कमांड्स को समझ कर उस कार्य को समपन्न करता है,और आउटपुट को प्रदर्शित करता है।

MS-DOS क्या है?

डॉस (DOS) एक ऑपरेटिंग सिस्टम है । किसी कम्प्यूटर सिस्टम के सरल कार्यों को करने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है । इसका पूरा नाम डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Disk Operating System) है ।

यह ऑपरेटिंग सिस्टम उपभोक्त्ता और कम्प्यूटर सिस्टम के बीच माध्यम का काम करता है ।इस ऑपरेटिंग सिस्टम के जरिये कम्प्यूटर को चलाने से पहले ऑपरेटिंग सिस्टम को मेमोरी में लोड करना आवश्यक है । डॉस हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है ।

MS-DOS क्या है?
MS-DOS क्या है?

यह उन कमाण्डों को परिवर्तित करता है जो की-बोर्ड की मदद से ऐसी भाषा डाली जाती हैं जिन्हें कम्प्यूटर आसानी से समझ सके । इसे डिस्क पर स्टोर किया जाता है और यह आपकी हार्ड डिस्क से में मेमोरी में लोड किया जाता है ।

MS DOS का पूरा नाम Microsoft Disk Operating system है। MS DOS एक Character User Interface Operating System (CUI) है। सन 1984 में इनटेल 80286 प्रोसेसर युक्त माईक्रो कम्प्यूटर विकसित किये गये तब इनमें MS DOS 3.0 और MS DOS 4.0 version का विकास किया गया ।बहुत कम लोग ही जानने की कोशिश करते हैं की MS-DOS क्या है? वैसे जो स्कूल,कॉलेज या फिर इंस्टिट्यूट में पढ़ते हैं उन्हें 

आप विशेष कमाण्डों के प्रयोग से निम्नलिखित कार्यों को कर सकते हैं:-

  1. फाइल को बनाना या मिटाना और फाइल के नामों को बदलना ।
  2. आप स्टोर की गई फाइलों की सूचि देख सकते हैं ।
  3. आप हार्डवेयर को दो भागों में बाँट सकते हो ।
  4. नई फ्लॉपी डिस्क को फॉरमेट कर सकते हो ।
  5. आप हार्ड डिस्क से फ्लॉपी में और फ्लॉपी डिस्क से हार्ड डिस्क में बैकअप ले सकते हैं ।

वे कार्य जो डॉस स्वतः करता है:-

  1. यह हार्डवेयर जैसे की सी. पी. यू. और मेमोरी को नियंत्रण करता है ।
  2. यह वायरस को ढूँढ निकालता है ।
  3. यह विभिन्न प्रोग्रोमों में मेमोरी का आबंटन करता है ।
  4. यह कम्प्यूटर से जुड़े अन्य उपकरणों को नियंत्रित करता है ।
  5. यह की-बोर्ड से सूचनाओं को लेता है और उन्हें मॉनीटर पर दिखाता है ।

MS-DOS वर्शन

1980:- अप्रैल के महीने में Tim Peterson ने Seattle Computer Products के 8086 पर आधारित कंप्यूटर (intel 16-bit 8086 CPU)  ऑपरेटिंग सिस्टम लिखना शुरू किया. जब Digital Research ने CP/M 86 ऑपरेटिंग सिस्टम रिलीज़ करने में देर कर दी तब सततलकपुटेरप्रोडक्टसने अपना खुद का डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने का फैसला कर लिया.  QDOS को CP/M के clone के रूप में डेवेलोप किया गया ताकि उस समय के बिज़नेस एप्लीकेशन जैसे Wordstar और dBase के साथ वो काम कर सके।

MS-DOS in Hindi
MS-DOS in Hindi

Digital Research में काम करने वाले Gary Kildall ने CP/M (Control program for Microcomputer) को 7 साल पहले लिखा था और सामान्य तोर पर प्रयोग होने वाला ये पहला ऑपरेटिंग सिस्टम था। Seattle Computer Products ने अगस्त में QDOS 0.10 (Quick and Dirty Operating System) की रचना की।

Peterson के द्वारा लिखी गई DOS 1.0 4000 lines में लिखा हुआ प्रोग्राम था. वैसे इसे लिखने में करीब 6 हफ्ते का समय लगा। QDOS का प्रोग्राम CP/M से थोड़ा अलग था।  बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने Peterson को hire कर लिया।

इस ऑपरेटिंग सिस्टम को बनाने में काफी कम समय लगा फिर भी ये काफी अच्छा काम किया.Tim peterson ने सितम्बर में Microsoft को अपना 86-DOS प्रोग्राम दिखाया जिसको उन्होंने 8086 chip के लिए लिखा था.दिसंबर में Seattle Computer Products ने QDOS का नाम बदलकर 86-DOS रख दिया और इसे 0.3 version के रूप में release किया. माइक्रोसॉफ्ट ने 86-DOS के मार्किट के non-exclusive rights भी खरीद लिए।

1981:- फ़रवरी में पहली बार इस को IBM के prototype  microcomputer में run कराया गया. इसी साल जुलाई के महीने में माइक्रोसॉफ्ट ने Seattle computer से DOS के पुरे अधिकार खरीद लिए MS-DOS नाम भी रख दिया गया. इसके अगले ही महीने में IBM ने मार्किट में IBM 5150 PC Personal Computer उतारा जिसमे 4.77 MHz Intel 8088 CPU, 64 KB RAM, 40 KB ROM, एक 5.25 inch की Floppy Drive और PC-DOS था जिसकी कीमत US $3000 था. बनावट में ये QDOS का improved version था।

1982:- मई के महीने में माइक्रोसॉफ्ट ने IBM PC के लिए इसका 1.1 रिलीज़ किया. ये double sided floppy disk drive को support करता था. इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने 1.25 version को release किया जो IBM compatible computers के लिए बनाये गए  1.1 version से मिलता जुलता था।

1983:- मार्च के महीने में MS-DOS 2.0 रिलीज़ किया गया जिसे scratch के द्वारा rewrite किया गया था जो 10 MB hard drives को support और 360 KB Floppy Drive को support करता था।

1984:- IBM PCs के लिए DOS 2.1 version release किया गया।

1986:- माइक्रोसॉफ्ट ने DOS 3.2 version लांच किया जो 3.5 inch और 720 Kb का floppy disk drive को support करता था. John Socha ने इस साल Norton Commander 1.0 version रिलीज़ किया.

1987:- IBM ने $120 में Disk Operating System 3.3 version लांच किया।

1988:- Digital Research ने CP/M को DR DOS में बदल दिया. माइक्रोसॉफ्ट ने Disk Operating System 4.0 के साथ ही graphical/mouse interface भी लांच किया. ये version successful नहीं रहा।

1989:- John Socha ने Norton Commander 3.0 रिलीज़ की. इस वक़्त तक Disk Operating System applications के लिए मार्किट mature हो चूका था।

1990:- Russia के लिए Soviat Market में इस साल माइक्रोसॉफ्ट ने russian Microsoft Soft Disk Operating System 4.01 का version रिलीज़ किया. इस में version 3.3 कम फीचर्स दिए गए थे।

1991:- जून के महीने में डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम 5.0 release की गई जिसने सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले main version DOS 3.3 की जगह ले ली. इस में full screen editor, undelete और unformat की सुविधा भी दी गई।

1993:- माइक्रोसॉफ्ट ने इस साल डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम 6.0 को अपग्रेड किया और साथ Double Space Disk Compression की सुविधा दी. शुरुआत के 40 दिनों में ही इस version की 1 million copies मार्किट में sell हुई।

1994:- फ़रवरी में इसका 6.21 release किया गया. इसमें से lawsuit की वजह से double space disk compression को हटा दिया गया. और फिर Disk Opeartion System 6.22 release किया गया जिसमे Drive Space के नाम से disk compression को वापस लाया गया।

1995:- IBM ने फ़रवरी में PC Disk Operation System 7 को introduce किया जिसमे integrated data compression की शुरुआत की गई और जो stac electronics के द्वारा प्रदान की गई इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने Disk Opearting System 7 को रिलीज़ किया जो Windows 95 का पार्ट था. जब windows run करता था तो इसमें long filename को support करने की क्षमता विकसित की गई।

1997:- Microsoft ने 7.1 version को release किया गया.  95 और OE।

MS-DOS वर्शन के प्रकार 

  1. Version 1 में 8
  2. Version 2 में 5
  3. Version 3 में 9
  4. Version 4 में 3
  5. Version 5 में 4
  6. Version 6 में 4
  7. Version 7 में 2
  8. Version 8 में 2.

Version 3.1: Version 3.1 में हमें नेटवर्क के लिए सपोर्ट देखने को मिला।

Version 3.3:- Version 3.3 पहला Version था जिसमे 3.5 इंच, 1.44 MB की Floppy Drive का सपोर्ट मिला।

Version 4.0:- Version 4.0 में Multitasking और Graphics का सपोर्ट मिला।

Version 5.0:- Version 5.0 पहला Version था जिसमे 3.5 इंच, 2.88 MB की Floppy Drive का सपोर्ट मिला।

Version 7.0:- Version 7.0 में हमें पहला GUI (Graphical User Interface) वाला Operating System Microsoft का ‘Windows95’ देखने को मिला। जिसमें हमें और अच्छे Graphics देखने को मिले।

Version 7.1:- version7.0 में ‘Windows98’ कुछ नए फ़ीचर के साथ Launch किया गया।

Version 8.0:- version  8.0 में हमें ‘Windows XP’ देखने को मिला और ये Operating System लोगों के बीच काफ़ी मशहूर रहा। आज भी कुछ लोग Windows XP Operating System को चलाते हैं।M service release 2 का ही एक हिस्सा था. ये FAT 32 hard disk ddrive को support करने के काबिल थी और ये efficient  के साथ साथ large storing capacity देने में capable था।

MS-DOS की विशेषताएं

यह फ़ाइल प्रबंधन को बेहतर बनाने में सहायक है। फाइलें बनाना, संपादित करना, हटाना आदि।यह उपयोगकर्ता ऑपरेटिंग सिस्टम है। कोई भी उपयोगकर्ता इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समय पर काम कर सकता है।यह अचरट्रैक्टर बेस्डफ़ोर्टफेस सिस्टम है। हम पत्र (या इस ऑपरेटिंग सिस्टम में वर्ण) टाइप कर सकते हैं।

MS-DOS की विशेषताएं
MS-DOS की विशेषताएं

MS-DOS 16 बिट ऑपरेटिंग सिस्टम है।डॉस सरल टेक्स्ट कमांड ऑपरेटिंग सिस्टम है, यह ग्राफिकल इंटरफ़ेस का समर्थन नहीं करता हैडॉस टेक्स्ट आधारित इंटरफ़ेस का उपयोग करता है और इसे संचालित करने के लिए टेक्स्ट और कोड की आवश्यकता होती है



DOS में इनपुट बेसिक सिस्टम कमांड्स के माध्यम से होता है, अर्थात इसे संचालित करने के लिए माउस का उपयोग नहीं किया जा सकता है|डॉस इस बात का बहुविकल्पी समर्थन नहीं करता है कि इसका रैम में एक बार में केवल एक ही प्रक्रिया हो सकती है|उपलब्ध स्टोरेज स्पेस की उच्चतम मात्रा

MS-DOS के कार्य 

डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम-डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम User को कंप्यूटर से जोड़ने में मदद करता है।नई फाइल बनाना, डिलीट करना और फाइल का नाम चेंज करना इस तरह के काम से DOS से आसानी से किया जा सकता है।

DOS से हम कम्प्युटर में Store की हुई फ़ाइल की लिस्ट भी देख सकते हैं और हमारे कंप्यूटर में कितने स्टोरेज है वह भी हम जान सकते हैं।इस सिस्टम से हम हार्डवेयर के बारे में जान सकते हैं।

इसके इस्तेमाल से हम अपने कम्प्युटर की फ़ाइल को बैकअप के तौर पर ले सकते हैं।DOS में CPU और मेमोरी को कंट्रोल करता है।DOS में फाइल मैनेजमेंट भी होता है इससे कंप्यूटर की मेमोरी मैनेजमेंट भी की जा सकती है।इसके साथ-साथ है कंप्यूटर की इनपुट/आउटपुट सिस्टम को भी कंट्रोल करता है।


क्लोन और नकल-इन वर्षों में MS-DOS की सफलता ने कई नकल करने वालों को प्रेरित किया है, और ऑपरेटिंग सिस्टम के कई तथाकथित ‘क्लोन’ स्वतंत्र सॉफ्टवेयर डेवलपर्स और कंप्यूटर उत्साही लोगों द्वारा लॉन्च किए गए हैं।

कुछ अधिक उल्लेखनीय नकल करने वालों में DR-DOS, OpenDOS और FreeDOS शामिल हैं। कई सिस्टम विकसित किए गए और Microsoft की इस घोषणा के सीधे जवाब के रूप में जारी किए गए कि वे MS-DOS के आगे के विकास को रोक रहे हैं और अब नियमित रूप से अपडेट और संशोधन के साथ सिस्टम को सपोर्ट नहीं करेंगे।

इन क्लोनों में सबसे सफल FreeDOS रहा है। 1994 में जिम हॉल द्वारा विकसित, FreeDOS हल्‍का और मजबूत है और अपने मूल ऑपरेटिंग सिस्टम पर कुछ सुधार प्रदान करता है। यह उसी हार्डवेयर और एम्बेडेड सिस्टम पर चल सकता है, और MS-DOS न मिलने वाले कई कमांड स्ट्रक्चर इसमें शामिल थे।

MS-DOS का भविष्य

जबकि MS-DOS का अंतिम पुनरावृत्ति 1997 में जारी किया गया था, ऑपरेटिंग सिस्टम अभी भी आधुनिक कंप्यूटिंग परिदृश्य का एक बड़ा हिस्सा है। कई व्यवसाय और स्वतंत्र प्रोग्रामर अभी भी कई एम्बेडेड एप्‍लीकेशन के लिए डॉस पर निर्भर हैं।

DOS कही भी सेव हो सकता है, बिना किसी बड़ी स्‍पेस के, क्योंकि यह एक अत्यधिक कॉम्पैक्ट और कुशल ऑपरेटिंग सिस्टम है जो न्यूनतम आवश्यक मेटेनेंस के साथ अच्छा प्रदर्शन करता है।

हार्डवेयर में चल रही प्रगति के साथ (विशेष रूप से बड़ी मेमोरी और फास्‍ट सीपीयू) MS-DOS और इसके क्लोन अभी भी बहुत कुछ पेश करते हैं।

MS-DOS Kernel

Kernel एक Program है जो किसी भी Operating System का Central Part होता हैं। जब Computer को On किया जाता है तो सबसे पहले Kernel और उसके बाद Operating System Memory में Load होता है, और Kernel तब तक Memory में रहता है जब तक Computer Shut Down नहीं हो जाता।यह Computer के Hardware जैसे Memory, CPU और Input/Output Devices को Application Software से जोड़ता हैं।

Kernel भी दो तरह के होते हैं-

  1. Monolithic Kernel, जिसमें कई तरह के Device Drivers होते हैं।
  2. Microkernel, जिसमें सिर्फ Basic Functions होते हैं।

Kernel का Code आमतौर पर Memory के संरक्षित (सुरक्षित) क्षेत्र में Load रहता हैं, ताकि कोई और Program इसके Code की जगह ना लिखने पाए।

MS-DOS के फायदे

ये ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जो छोटे capacity वाले सिस्टम में भी काम करता है.पूरा OS single Modern RAM chip में store किया जा सकता है.इस में बहुत आसानी से BIOS को access किया जा सकता है।

Process को direct control करने का फीचर देता है.इसका size बहुत कम होता है इसीलिए ये किसी भी windows ऑपरेटिंग सिस्टम की तुलना में बहुत जल्दो boot करता है.Special purpose program लिखना काफी आसान होता है भले ही कितना लम्बा प्रोग्राम हो क्यों की इसमें कोई graphic नहीं होता।

DOS बहुत lightweight होता है इसीलिए ये hardware तक direct access देता है.ये single-user operating system है इसीलिए इस में multitasking का overhead नहीं होता।

MS-DOS के नुकसान

इस में Multitasking support नहीं करता. इस में एक बार में सिर्फ एक ही एप्लीकेशन पर काम कर सकते हैं।जब 640 MB के ऊपर memory को address करना होता है तो इसमें memory access करना difficult होता है।जब भी hardware में कुछ interruption होता है तो खुद ही मैनेज करना पड़ता है।

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