Operating System क्या है? ऑपरेटिंग सिस्टम जाने हिंदी में

What is an Operating System in Hindi? जाने ऑपरेटिंग सिस्टम क्या होता है और क्या काम करता है?

COMPUTER OPERATING SYSTEM

जैसा की हम जानते हैं कि हम एक इंसान हैं और इंसानो के पास एक दिल होता हैं. ऐसे में क्या आपको पता है कि  जैसे इंसानो के पास दिल होता हैं उसी प्रकार कम्प्यूटर के पास भी एक दिल होता हैं और उस दिल को हम तकनीकी भाषा में Operating System (OS) कहा जाता हैं।

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?

ऑपरेटिंग सिस्टम एक सॉफ्टवेयर होता है जो कि कंप्यूटर तथा यूज़र के मध्य interface की तरह कार्य करता है। इसे system software कहते है.ऑपरेटिंग सिस्टम निर्देशों का समूह होता है जो कि स्टोरेज डिवाइस में स्टोर रहता है।

तथा यह programs का समूह होता है जो कि कंप्यूटर के resources तथा operations को manage करता है। एक operating system का उद्देश्य computer के इस्तेमाल को convenient और efficient बनाना है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार 

उपयोगकर्ता द्वारा किसी भी कंप्यूटिंग डिवाइस (Desktop, Laptop, Mobile, Tablet etc.) में अन्य प्रोग्राम को चलाने के लिए operating system की आवश्यकता होती है. कुछ जाने पहचाने OS के उदाहरण जिनमे (Windows, Android, iOS, macOS, Linux, Chrome OS और Windows Phone OS) शामिल है।

Operating System क्या है? ऑपरेटिंग सिस्टम जाने हिंदी में
Operating System क्या है? ऑपरेटिंग सिस्टम जाने हिंदी में

दुनिया में हर रोज़ कुछ न कुछ बदलाव होता रहता है. ठीक उसी तरह कंप्यूटर के OS भी बदलती रहते हैं. टेक्नोलॉजी और एडवांस होती जा रही है। अब तो ऐसा दौर आ चुका है की अभी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस पर भी साइंटिस्ट ने काफी सफलता पा ली है।

अब अगर OS में बदलाव न हो तो ये मुमकिन नहीं है. नासा तो अब मंगल तक पहुँच चुका है. तो आप इसका अंदाज़ा इसी से लगा सकते हैं की क्या आप घर में जो ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल करते हैं उसका इस्तेमाल राकेट साइंस में होता होगा? जी नहीं इसके लिए बहुत ही एडवांस OS जो अल्टीमेट फीचर्स वाले होते हैं उनका इस्तेमाल किया जाता है।

इसी बात से आप समझ गए होंगे की ये सिर्फ एक तरह का नहीं होता.इसकी उपयोग और जरूरत के अनुसार इसके अलग अलग प्रकार होते हैं. जैसी जरुरत वैसे इस का इस्तेमाल किया जाता है. तो चलिए जानते हैं की ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार कितने है।

  1. Batch operating System.
  2. Network Operating System.
  3. Time-Sharing Operating System.
  4. Distributed Operating System.
  5. Real-Time Operating System.

Batch operating System:- बैच ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर कंप्यूटर के साथ डायरेक्टली इंटरैक्ट नहीं करते हैं. इसमें एक ऑपरेटर होता है जो एक तरह के jobs को ग्रुप कर के जरूरत के अनुसार batches बना देती है. एक तरह के जरूरत वाले jobs को छांट कर के अलग अलग बैच में बनाना ऑपरेटर की जिम्मेदारी होती है।

Operating System क्या है? ऑपरेटिंग सिस्टम जाने हिंदी में
Operating System क्या है? ऑपरेटिंग सिस्टम जाने हिंदी में

Advantages of Batch System

  1. ये जानना बहुत मुश्किल होता है किसी जॉब को complete होने में कितना टाइम लगेगा, बैच सिस्टम के प्रोसेसर ही जानते हैं की लाइन में लगे हुए जॉब को कम्पलीट होने में कितना टाइम लगेगा।
  2. इस सिस्टम को बहुत सारे यूजर शेयर कर सकते हैं।
  3. Batch system idle time बहुत कम होता है।
  4. इस सिस्टम में बार बार बड़े कामो को आसानी से मैनेज करने की capacity होती है।


Disadvantages of Batch System

  1. कंप्यूटर और यूजर के बिच डायरेक्ट इंटरेक्शन नहीं होता।
  2. कंप्यूटर ऑपरेटर्स को बैच सिस्टम के बारे में बहुत अच्छी जानकारी होना जरुरी है।
  3. Batch system  को debug करना बहुत बड़ी प्रॉब्लम होती है।
  4. ये महँगा होता है।
  5. जब कोई जॉब एक बार फेल हो जाता है तो उसे दुबारा कम्पलीट करने के लिए लाइन में लगना पड़ता है. उसके कम्पलीट होने में काफी समय लग सकता है।
Disadvantages of Batch System Operating System
Batch System Operating System

Network Operating System:- ये सिस्टम सर्वर पर काम करते हैं। जिन में data, user, groups, application, securityऔर बाकि सभी नेटव्रकिंग सिस्टम को मैनेज करने की क्षमता होती है. किसी भी कम्पनी में अगर आप जायेंगे तो आपको वहाँ बहुत सारे कम्प्यूटर्स दिखेंगे जो एक प्राइवेट नेटवर्क के रूप में काम करते हैं.ये सारे कम्प्यूटर्स एक दूसरे से कनेक्टेड होते हैं. और इस तरह ये एक सर्वर के ऊपर काम करते हैं. इसमें आप फ़ाइल, प्रिंट, लोगिन किसी भी सिस्टम से एक्सेस कर सकते हैं।

उदाहरण: मैं एक ऑटोमोबाइल कंपनी में जॉब करता हूँ. यहाँ बहुत सारे कंप्यूटर सिस्टम हैं और सभी एक सर्वर से जुड़े हैं. और इस सर्वर पर स्टोर किये फाइल्स हम कहीं से भी खोल कर इस्तेमाल कर लेते हैं यानी किसी भी सिस्टम से हम सर्वर पर रखे फ़ाइल में काम कर लेते है. यहाँ तक की प्रिंट निकालने के लिए भी किसी भी सिस्टम से जाकर हम कॉमन प्रिंटर से प्रिंट निकल लेते हैं. इसके अलावा एक ही लोगिन ID को किसी भी सिस्टम में लोगिन के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं।

Advantages of Network Operating System

  1. इसके centralized server बहुत स्थिर होते है।
  2. सारे सिक्योरिटी issue को सर्वर से ही मैनेज किया जा सकता है।
  3. नए अपडेट को एक साथ सभी कम्प्यूटर्स में इम्प्लीमेंट आसानी से कर लिया जाता है।
  4. आप किसी भी सिस्टम से दूसरे सिस्टम में VNC की मदद से रिमोटली एक्सेस कर के काम कर सकते हैं।


Disadvantages Network Operating System

  1. इसमें उपयोग होने वाले सर्वर बहुत महंगे होते हैं।
  2. हर तरह के ोपार्टिओं के लिए सेंट्रलाइज्ड सिस्टम पर देपेंद रेहना पड़ता है।
  3. इसकी मेंटेनेंस और उपदटेस रेगुलरली होना जरुरी है।
Disadvantages Network Operating System
Network Operating System

Time Sharing Operating System:- इस तरह के इस में हर टास्क को पूरा करने के लिए कुछ टाइम दिया जाता है ताकि हर टास्क smoothly काम कर सके. इसमे हर यूजर सिंगल सिस्टम का इस्तेमाल करता है तो इससे CPU को टाइम दिया जाता है. इस सिस्टम को Multitasking सिस्टम भी बोला जाता है. इसमें जो टास्क होता है वो सिंगल यूजर से भी हो सकता या फिर मल्टी यूजर से भी हो सकता है.इस में हर टास्क को execute करने के लिए जितना टाइम लगता है उसे quantum बोलते है. हर टास्क को कम्पलीट करने के बाद ये फिर अगले टास्क को शुरू कर देता है।

Advantages of Time Sharing Operating System

  1. हर टास्क को पूरा करने के लिए बराबर मौका दिया जाता है.
  2. सॉफ्टवेयर  के डुप्लीकेशन होने का बहुत कम चांस होता है.
  3. CPU idle time को इसमें कम किया जा सकता है.


Disadvantages of Time Sharing Operating System

  1. इसमें reliability का प्रॉब्लम होता है.
  2. हर एक को इसमें security और integrity का ख्याल रखना पड़ता है.
  3. इसमे डाटा कम्युनिकेशन की प्रॉब्लम कॉमन है.
  4. Time-sharing, operating system के उदाहरण हैं:- Unix
Time Sharing Operating System
Time Sharing Operating System

Distributed Operating System:- कंप्यूटर टेक्नोलॉजी की दुनिया में इस तरह का सिस्टम एक एडवांस टेक्नोलॉजी है.  जो हाल ही में शुरू किया गया है. इसे पूरी दुनिया में अपनाया गया है और हर कोने में इस्तेमाल किया जाने लगा है.जब बहुत सारे autonomous यानि इंडिपेंडेंट कम्प्यूटर्स को जोड़कर एक सिंगल सिस्टम की तरह इस्तेमाल किया जाता है तो इसे डिस्ट्रिब्यूटेड ऑपरेटिंग सिस्टम बोला जाता है.

ऐसा बिलकुल भी जरुरी नहीं की सारे कम्प्यूटर्स एक ही जगह पर हों. ये अलग अलग जगह रह कर भी कनेक्टेड हो सकते हैं.आपने LAN और WAN तो जरूर सुना होगा. अगर नहीं जानते तो मैं बता देता हूँ. जब बहुत सारे कम्प्यूटर्स एक ही जगह पर होते हैं और आपस में कनेक्टेड होते हैं तो इसे LAN डिस्ट्रीब्यूट्स सिस्टम कहेंगे. और जब बहुत सारे कम्प्यूटर्स अलग अलग जगहो से एक साथ कनेक्टेड होते हैं उसे WAN डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम बोलते हैं.

Advantages of Distributed Operating System

  1. अगर एक सिस्टम फेल हो जाता है तो पुरे नेटवर्क में कोई फर्क नहीं पड़ता है. सभी सिस्टम एक दूसरे से फ्री होते हैं डिपेंडेंट नहीं होते।
  2. Email से डाटा एक्सचेंज की स्पीड बढ़ जाती है।
  3. Resources shared होते हैं इसीलिए काम बहुत फ़ास्ट और बेस्ट होता है।
  4. Data load होने में बहुत कम समय लगता है।
  5. Data processing delay कम करता है।
Distributed Operating System
Distributed Operating System

Real-Time Operating System:- रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसा डाटा प्रोसेसिंग सिस्टम होता है जिसमे किसी इनपुट के लिए प्रोसेस और उसका रिस्पांस टाइम बहुत ही कम होता है. या यूँ कहे तो इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल करके हम किसी डाटा को इंटरनेट से लाइव देखते हैं. इस सिस्टम का इस्तेमाल कर के लंदन में बैठा एक स्पेशलिस्ट डॉक्टर अमेरिका में किसी मरीज का ऑपरेशन कर लेता है. इसके लिए वो रोबोटिक हाथों का इस्तेमाल करते हैं।

ये इसी सिस्टम की वजह से मुमकिन हो सका है.इसमें इनपुट करने के बाद आउटपुट होने तक के टाइम को Response time कहा जाता है.  इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल करने के कुछ उदारण ये हैं. Scientific experiments, Medical Imaging system, Industrial control system,Weapons system,Robot, Air traffic control system इत्यादि।

Real-Time Operating System
Real-Time Operating System

Real-Time 2 तरह के होते हैं:-

Hard Real-Time Systems:- ये ऐसा सिस्टम है जिसमे समय सीमा होती है. जितना टारगेट टाइम दिया होता है वो उसी टाइम में अपना टास्क पूरा कर लेता है. इसमें गलती होने की कोई गुंजाईश नहीं होती है.इस तरह के सिस्टम का इस्तेमाल Life save करने के लिए किया जाता है। जैसे parachutes, air bags, medical operation.तो अब आप समझ सकते हैं की इस तरह के सिस्टम कितने स्ट्रांग होते हैं।

Soft Real-Time Systems:- इस तरह के सिस्टम में किसी तरह की समय सीमा नहीं होती है। अगर कोई टास्क चल रहा है तो वो ज्यादा टाइम भी ले रहा है तो इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं होता है।

Hard Soft Real-Time Operating System
Hard Soft Real-Time Operating System

ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएँ

  1. Primary Memory को Track करता है. जैसे, कहाँ इस्तेमाल हो रही है? कितनी मैमोरी इस्तेमाल हो रही है? और मांगने पर मैमोरी उपलब्ध करवाता है।
  2. Processor का ध्यान रखता है अर्थात Manage करता हैं।
  3. कम्प्युटर से जुडे हुए सभी डिवाईसों को मैंनेज करता हैं।
  4. कमप्युटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों को मैंनेज करता हैं।
  5. पासवर्ड तथा अन्य तकनीकों के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करता हैं।
  6. कम्प्युटर द्वारा किये जाने वाले कार्यों का ध्यान रखता है और उनका रिकॉर्ड रखता हैं।
  7. Errors और खतरों से अवगत कराता हैं।
  8. User और Computer Programs के बीच समन्वय बनाता हैं।

प्रमुख ऑपरेटिंग सिस्टम के नाम

  1. Windows OS
  2. Mac OS
  3. Linux OS
  4. Ubuntu
  5. Android OS
  6. iOS
  7. MS-DOS
  8. Symbian OS

ऑपरेटिंग सिस्टम के विभिन्न फंक्शन

ऑपरेटिंग सिस्टम के फंक्शन की वजह से ही कंप्यूटर काम करता है लेकिन ये खुद कैसे काम करता है ये जानना भी जरुरी है. जब कंप्यूटर start होता है तब से लेकर कंप्यूटर के off होने तक सारे काम को अपने ऊपर संभाल कर ये कैसे चला पाता है. ये सोचने वाली बात है. तो चलिए जानते हैं की कंप्यूटर के फंक्शन क्या होते हैं-

  1. Memory management.
  2. Processor management.
  3. File management.
  4. Device management.
  5. Security.
  6. Control over System Performance.
  7. Job Accounting.
  8. Error detecting Aids.
  9. Coordination between other software and users.


Memory Management:- प्राइमरी मेमोरी और सेकेंडरी मेमोरी को मैनेज करने के प्रोसेस को ही मेमोरी मैनेजमेंट बोलते है. प्राइमरी मेमोरी जिसे हम RAM के नाम से जानते हैं जो की volatile मेमोरी होता है. और जो भी डाक्यूमेंट्स में काम करते हैं उसे ये temporary store करता रहता है. Main मेमोरी में words या फिर bits के बहुत सारे array होते हैं जिनमे से हर एक का अपना एक address होता है. Main memory जो होता है वो बहुत ही fast होता जिसे CPU से डायरेक्ट एक्सेस कर सकते हैं.जब हम किसी सॉफ्टवेयर को डबल क्लिक कर के ओपन करते हैं तो उसका में memory में होना जरुरी है. एक हलकी झलक देख लेते हैं की ये और क्या क्या काम करता है।

प्राइमरी मेमोरी के हर स्टेप को ये रिकॉर्ड करता है. जैसे कितने मेमोरी का प्रयोग हो रहा है और कौन इस्तेमाल कर रहा है. जैसे हम chrome इस्तेमाल करते हैं तो वो कितना मेमोरी खा रहा है और साथ ही म्यूजिक प्लेयर चल रहा है तो वो भी अलग से RAM की कुछ मेमोरी को इस्तेमाल करेगा. ये सारी जानकारी को ये दिखाता है। Multi programming में OS ये निर्णय लेता है की कौन से प्रोसेस को कितना मेमोरी और कब देना है.जब अलग अलग प्रोग्राम को स्टार्ट किया जाता है तो प्रोग्राम के लिए मेमोरी को डिस्ट्रीब्यूट करता है.जब कोई प्रोग्राम बंद होता है तो ये मेमोरी को वापस conserve करता है।

Processor Management:- Multi programming environment में ऑपरेटिंग सिस्टम ये decide करता है की किस प्रोसेस को प्रोसेसर उपयोग करने के लिए देना है कब देना और कितने देर के लिए देना है. इस function को process scheduling भी बोलते है.  ये प्रोसेस मैनेजमेंट करने के लिए निचे दी गई activities को परफॉर्म करता है.OS प्रोसेसर के सारे काम को track करता रहता है और हर प्रोसेस के status को रिकॉर्ड करता रहता है. इस टास्क को जो चलाते है उसे ट्रैफिक कंट्रोलर कहा जाता है.येकिसी प्रोसेस के लिए प्रोसेसर को डिस्ट्रीब्यूट करता है.जब कोई प्रोसेस होना बंद होता है तो उसे वापस ले लेता है।

Device Management:- आपको ये तो मालुम होगा की हर इनपुट और आउटपुट डिवाइस इनस्टॉल करने के लिए साथ में ड्राइवर मिलता है। इन सभी इनपुट या एक्सटर्नल डिवाइस प्रयोग करने के पहले हमें ड्राइवर इनस्टॉल करना पड़ता है। अगर आप ड्राइवर इनस्टॉल नहीं करते हैं तो कंप्यूटर उस डिवाइस को पहचान नहीं पाता है। और इसकी वजह से डिवाइस काम भी नहीं करती.वैसे लगभग विंडोज 7 तक के OS में ड्राइवर सभी devices के लिए इनस्टॉल करना होता था लेकिन अभी के लेटेस्ट विंडोज में बहुत कम devices के लिए ड्राइवर इनस्टॉल करने पड़ते हैं.ये डिवाइस कम्युनिकेशन को उसके ड्राइवर के जरिये मैनेज करता है। चलिए देख लेते हैं की आखिर operating system device management कैसे काम करता है।

ये सभी devices को ट्रैक करता है. devices को मैनेज करने के लिए जिस प्रोग्राम को इस्तेमाल करता है उसे I/O कंट्रोलर कहा जाता है.OS इसका भी निर्णय लेती है की कौन से प्रोसेस को डिवाइस कब और कितने समय के लिए देना है. उदाहरण के लिए हम फोटोशोप प्रोग्राम को लेते हैं. उसमे फोटो प्रिंट करने के लिए जैसे ही प्रिंट पर क्लिक करते हैं तो OS प्रिंटर जो की एक आउटपुट डिवाइस है उसे उस प्रोसेस करने के लिए थोड़ी देर के लिए execute करता है। जब फोटो प्रिंट हो जाता है तो फिर वो डिवाइस को वापस ले लेता है। जितना हो सके उतनी ही देर डिवाइस को प्रयोग करता है जैसा की मैंने ऊपर के उदारण में बताया है। Device जब काम पूरा कर लेता है तो फिर उसे inactive कर के रखता है।

File Management:- फाइल को आसानी से प्रयोग करने के लिए हम फोल्डर बनाकर उसके अंदर रखते हैं। इससे हमें किसी भी फाइल को केटेगरी wise फोल्डर बनाकर रख के कभी भी उयोग करने में आसानी होती है।Directory को ही हम फोल्डर भी बोलते है। फ़ोल्डर के अंदर और भी फोल्डर और फाइल बनाकर रखते है। इस तरह से और भी काम कौन कौन से काम OS करता है ये हम जानते हैं.ये हर इनफार्मेशन को ट्रैक करता है. इसके साथ ही फाइल का लोकेशन क्या है, फाइल कब बना कितने साइज का है , किस यूजर ने बनाया था ये सारी जानकारी भी ये रखता है। इस सारे प्रोसेस को जो प्रोग्राम परफॉर्म करता है उसे हम फाइल सिस्टम बोलते है। OS ये decide करता है की किसको resource मिलेंगा.Resource को आपस में बाँट देता है। जब उपयोग में न हो तो resources को वापस ले लेता है।

Security:- जब हम और कंप्यूटर उपयोग करते हैं तो चाहते हैं की सिर्फ हम ही उयोग कर सके. तो इसके लिए ये हमें सिक्योरिटी भी देती है. हम अपने लिए users क्रिएट कर सकते हैं और उसे पासवर्ड डाल कर सेफ भी रख सकते हैं। और अगर एक से ज्यादा यूजर हैं तो भी हम अपने लिए एक पर्सनल यूजर अलग से बनाकर उपयोग कर सकते हैं। इससे ये फायदा होता है की सिस्टम तो वही होता है लेकिन हमारे पर्सनल डाटा को हम छुपा के, सुरक्षित और lock कर के आसानी से रख सकते हैं। ये ऑपरेटिंग सिस्टम हमें सारी सुविधाएं देता है।

Control over system performance:- कभी कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा की आपने किसी प्रोग्राम को शुरू करना चहा होगा और वो थोड़ी देर बाद शुरू हुआ हो. या फिर अपने किसी फाइल को स्टोर करने की कोशिस की होगी और वो बहुत देर तक प्रोसेस कर रही होगी. इन सभी परफॉरमेंस में होने वाले delays या देरी को OS रिकॉर्ड करता है और ये भी रिकॉर्ड करता है की किसी प्रोसेस को पूरा करने के लिए सिस्टम ने कितने देर बाद response किया।

Job Accounting:- OS बहुत सारे काम तो करता है साथ ही ये भी काम करता है की किसी यूजर ने कंप्यूटर शुरू होने के बाद बंद करने तक कौन कौन से काम किये. और ये भी ट्रैक करता है की किस फाइल में काम किया है।

Error Detecting Aids:- काम करते करते बहुत बार ऐसा होता है की सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम हैंग हो जाते हैं. और ये भी होता है की कुछ error होने की वजह से बिच में ही सॉफ्टवेयर बंद हो जाता है। इन सारी errors को भी OS ट्रैक कर के रखता है।

Coordination Between other Softwares and Users:- कंप्यूटर के अंदर जो प्रोग्रामिंग लैंग्वेज काम करते हैं उनके और users के दिए हुए कमांड्स और इनपुट के बिच में OS ही co-ordination बनाता है। जैसे जम हम “आ” टाइप करते हैं तो उसे सिस्टम (0,1) कोड के अनुसार समझता है की हमने क्या लिखा है। फिर उसे प्रोसेस कर के प्रोग्रामिंग लैंग्वेज समझता है फिर उसे समझ के आउटपुट डिवाइस के जरिये हमें शो करा देता है. ये सारे परफॉरमेंस के लिए बिच में जो काम करने का प्लेटफार्म देता है वो OS ही होता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य

  1. Operating System संपूर्ण कम्प्युटर का नियंत्रण एवं संचालन करता है। इसी के द्वारा कम्प्युपुटर का प्रबंधन किया जाता है। Operating System उपयोगकर्ता को कम्प्युटर पर आसानी से कार्य करने कि योग्यता देता है। Operating System और कम्प्युटर के संबंधो को एक आरेख चित्र (Flow Chart) के माध्यम से समझा जा सकता है।
  2. Operating System कम्प्युटर को ठीक प्रकार से उपयोग करने लायक सरल बनाता है।
  3. Operating System उपयोगकर्ता से Hardware की भारी भरकम सूचनाओं को उपयोगकर्ता से छिपा लेता है, इसलिए उपयोगकर्ता का ढेर सारी सूचनाओं से सामना नही होता है।
  4. Operating System उपयोगकर्ता को एक सरल माध्यम उपलब्ध कराता है इसलिए वह कम्प्युटर पर आसानी से कार्य कर पाता है।
  5. Operating System उपयोगकर्ता एवं Hardware के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है, ताकि उपयोगकर्ता कम्प्युटर और उसके संसाधनों का उपयोग सरलता से कर सके।
  6. कम्प्युटर और इसके संसाधनों का प्रबंधन करना Operating System का एक जरूरी कार्य है।
Working of Operating System
Working of Operating System

ऑपरेटिंग सिस्टम को कई श्रेणीयों में बाँटा गया है

Multi-user Operating System:- यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक से अधिक उपयोगकर्ताओं को एक साथ कार्य करने की सुविधा प्रदान करता है. इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर एक समय में सैकड़ों उपयोगकर्ता अपना-अपना कार्य कर सकते है।

Single-user Operating System:- इसके विपरीत Single-user Operating System एक समय में सिर्फ एक ही उपयोगकर्ता को कार्य करने देता है. इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर एक समय में कई उपयोगकर्ता कार्य नही कर सकते है।

Multitasking Operating System:- यह ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ता को एक साथ कई अलग-अलग प्रोग्राम्स को चलाने की सुविधा देता है. इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर आप एक समय में E-mail भी लिख सकते है और साथ ही अपने मित्रों से Chat भी कर सकते है।

Multi Processing Operating System:- यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक प्रोग्राम को एक से अधिक CPU पर चलाने की सुविधा देता है।

Multi Threading Operating System:- यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक प्रोग्राम के विभिन्न भागों को एक साथ चलाने देता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के लाभ

  1. इसे आसानी से Use किया जा सकता है क्योंकि इसका ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस होता है।
  2. इसके द्वारा हम एक data को बहुत सारे users के साथ share कर सकता हैं।
  3. इसके द्वारा हम resources को share कर सकते है जैसे:- प्रिंटर
  4. इन्हें आसानी से update किया जा सकता हैं।

ऑपरेटिंग सिस्टम के हानियाँ

  1. कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम Free होते है परन्तु कुछ महंगे होते है जैसे:- windows की कीमत लगभग 5000 रुपए से लेकर 10000 रुपए तक होती है।
  2. linux को चलाना थोड़ा मुश्किल  होता है विंडोज़ की तुलना में।
  3. ये कभी कभी किसी hardware को सपोर्ट नहीं करती हैं।
  4. mac OS में viruses का खतरा ज्यादा रहता हैं।

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